Punjab got its honor

पंजाब को मिला उसका मान

Punjab got its honor

Punjab got its honor

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में जितनी शांति से एक क्रांति हो गई, उसकी परिकल्पना अद्भुत है। यही वजह है कि देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कहते हैं- इस बहुमत से डर गया हूं। उनके ऐसा कहने की वजह यह भी है कि पंजाब की जनता ने आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में जो प्रचंड बहुमत दिया है, वह पंजाब के इतिहास में आज तक किसी भी राजनीतिक दल को नहीं मिला है। ऐसे में उस जिम्मेदारी जोकि जनता ने पार्टी को सौंपी है, का भार पूरी पार्टी के लिए धर्म की भांति हो गया है। धर्म भारी होता है, लेकिन दिखता नहीं है। उसका निर्वाह इसका अहसास कराता है। यह वही पंजाब है, जिसने बीते वर्ष इन्हीं दिनों में स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त बहुमत दिया था। पार्टी का नेतृत्व जहां फूला नहीं समा रहा था, वहीं प्रदेश के संबंध में यह धारणा बनने लगी थी कि आगामी चुनाव में भी कांग्रेस को जीत हासिल होगी। कांग्रेस को इन परिणामों ने इतना मगरूर कर दिया था कि उसने जहां अपने तत्कालीन मुख्यमंत्री को बदल दिया, वहीं सरकार और पार्टी के बीच भी दीवारें पैदा कर दी गई। हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता उस समय भी शांतिपूर्वक अपने काम में जुटे थे और पंजाब की जनता को यह आश्वस्त करने में लगे थे कि उन्हें अगर एक मौका मिले तो वे दिखा सकते हैं कि हालात कैसे बदले जाते हैं। अब पंजाब ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, सीएम फेस भगवंत मान और दूसरे नेताओं को वह मौका दे दिया है।

   पंजाब में यह बड़ा बदलाव कांग्रेस, शिअद, भाजपा और दूसरी पार्टियों को आईना दिखाने वाला है। सत्ता में रही कांग्रेस को जनता ने दूसरी बार बहुमत दिया तो उम्मीद यही थी कि वह प्रदेश में वह परिवर्तन लेकर आएगी, जिसकी इसे दरकार है। सरकार ने अपने हाथ-पैर मारे लेकिन पंजाब की वह चढ़दी कलां नजर नहीं आई। न उद्योग, न रोजगार, न शिक्षा, न मेडिकल, न बेहतर हाईवे-सडक़ें। बिजली संकट जहां प्रदेश को रुलाता है, वहीं फसलों का उत्पादन कम हो गया है, अपराध जहां बढ़ा है वहीं नशे के लिए अंतिम स्टेशन जैसे पंजाब हो गया है। युवाओं के पास विदेश भागने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है। जो जा सकते हैं, वे जाते हैं, लेकिन हर कोई विदेश नहीं जा सकता। नशे की वजह से लगातार मौतें हो रही हैं। क्या यह माना जाए कि पंजाब किसी ऐसे अवतार की प्रतीक्षा कर रहा था, जोकि आकर उसे कष्टों को हर सके? फिर क्या पंजाब ने ऐसे अवतार की प्रतीक्षा में अपने 56 साल नहीं गंवा दिए। यह कुछ ऐसे भी लगता है कि इंसान तमाम दुश्वारियों से टकराता रहे और फिर एक दिन वह कहे- बस, अब और नहीं। पंजाब ने अपनी तमाम दुश्वारियों से पीछा छुड़ाने के लिए इस बार फैसला लिया है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की चुनौतियां और जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। सीएम फेस भगवंत मान एक कॉमेडियन से राजनेता बने हैं। अपने एक वीडियो में जोकि आजकल काफी प्रचलित है, में वे किसी को जादू-मंत्र से उसकी परेशानियों को हल करने का तरीका समझा रहे हैं।

  जाहिर है, ऐसा केवल फिल्मों में हो सकता है, जब जादू-मंत्र से परेशानियों को खत्म किया जाए। देश, राज्य और उनका प्रशासन इसलिए स्थापित किया जाता है, ताकि वे जनता के कल्याण के लिए बेहतरीन योजनाएं बनाए और उन्हें अमल में लेकर आएं। भारत और इसके तमाम राज्यों के संबंध में एक सत्य यह भी है कि सरकारों ने उतनी ईमानदारी से काम नहीं किया है, जितनी ईमानदारी चाहिए होती है। राजनीतिक दलों और उसके नेताओं के साथ भ्रष्टाचार नत्थी हो चुका है। आम आदमी पार्टी के गठन के बाद देश की जनता ने इसे सिर माथे लिया था, वह इसलिए क्योंकि वह पार्टी विद ए डिफरेंस का स्लोगन देते हुए सामने आई थी। यह एक आंदोलन की भांति था, जब सडक़ के आदमी से लेकर ऊंचे महलों में रहने वालों को भी लगा था कि आम आदमी पार्टी परिवर्तन लेकर आएगी। दिल्ली में सरकार बनने के बाद पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शानदार काम किए हैं। जन सेवाओं के संबंध में केजरीवाल सरकार के कार्य दूसरे प्रदेशों के लिए भी प्रेरक हैं। हालांकि पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब, दिल्ली नहीं है। पंजाब एक ऐसा प्रदेश है, जिसके बारे में अंदाजा लगाना तक मुश्किल है। उसकी अनंत इच्छाएं हैं और सात रंगों से भी ज्यादा रंग यहां की फिजाओं में हैं।

   सीएम फेस भगवंत मान ने ऐलान किया है कि वे मुख्यमंत्री पद की शपथ खटकडक़लां में लेंगे जोकि अमर शहीद सरदार भगत सिंह का गांव है। सरदार भगत सिंह देश को अंग्रेजों से मुक्त कराना चाहते थे, उनकी सोच उनके न रहने के बाद पूरी हो गई, हालांकि वे सिर्फ यही नहीं चाहते थे, वे एक आदर्श समाज की स्थापना भी चाहते थे। आज आम आदमी पार्टी के सामने यही लक्ष्य होना चाहिए कि किस प्रकार सरदार भगत सिंह की सोच को आगे बढ़ाएं और उसे व्यवहार में रूपायित करे। यह कार्य बेहद मुश्किल है। आप  के पिछली विधानसभा में भी विधायक थे। लेकिन इस बार वह सरकार बनाएगी और वह भी प्रचंड बहुमत वाली सरकार। विधानसभा के अंदर 92 सीटों पर आप के विधायक बैठे होंगे। उसके सामने बहुमत जुटाने की चिंता नहीं होगी। आप की सरकार को सिर्फ सोचना होगा और उसे अमल में लाना होगा। पंजाब भारी उम्मीदों से सरदार भगवंत मान की ओर देख रहा है, उन्हें अपने वादों और इरादों को पूरा करना होगा वहीं पंजाब की शक्ल-सूरत बदलनी होगी। आप की सरकार को यह समझ कर राज चलाना होगा कि आखिर जनता ने उसे क्यों चुना है। जब वह यह सोच कर काम करेगी तो कुछ भी गलत नहीं होगा और न ही कुछ छूटेगा।